Tuesday, June 25, 2019

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नूर उल हसन का कहना है कि उन्होंने मदद हासिल करने के लिए काफ़ी आवाज़ उठाई लेकिन मदद नहीं मिली. दो साल उन्होंने लाहौर के एक डॉक्टर से राय भी तब उन्हें बताया गया कि उनके ऑपरेशन और इलाज पर दस लाख रुपए तक का ख़र्च आएगा. इतने पैसे उनके पास नहीं थे वै बैठे रह गए.
एक साल पहले जब उनके बारे में ख़बरें प्रकाशित हुईं तो लाहौर के मशहूर लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर मज़ उल हसन को उनके बारे में जानकारी मिली. डॉक्टर माज़ ने उनसे संपर्क किया और मुफ़्त इलाज करने का भरोसा दिया.
बीबीसी से बात करते हुए डॉक्टर माज़ उल हसन ने बताया कि इलाज के लिए उन्होंने छह महीने पहले नूर उल हसन को प्रोटीन खिलाना शुरू किया.
"इससे पहले उनका वज़न 360 किलो था लेकिन अब मसला ये था कि उन्हें लाहौर कैसे सादिक़ाबाद से लाहौर सड़क के रास्ते से पहुंचने में आठ से नौ घंटे लग ही जाते हैं. इसमें ख़तरा ये था कि इतने ज़्यादा वज़न वाले इंसान में ख़ून जम सकता है. इसलिए उन्हें हवाई एंबुलेंस में लाया गया.
नूर उल हसन ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो साझा करके लोगों से मदद भी मांगी थी. आख़िरकार उन्हें पाकिस्तानी सेना के हेलीकॉप्टर से लाहौर पहुंचा दिया गया.
डॉक्टर माज़ के मुताबिक ये पहली बार है जब पाकिस्तान में मोटापे का कोई मरीज़ एयर एंबुलेंस से लाया गया हो.
डॉक्टर माज़ का कहना है कि जब नूर उल हसन को अस्पताल लाया गया तो उनके सभी अहम अंग सामान्य तौर पर काम कर रहे थे. उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया.
"मैं जब तक दो सौ प्रतिशत संतुष्ट नहीं होउंगा मैं ऑपरेशन थिएटर के अंदर नहीं जाउंगा."
उनका कहा है कि इससे पहले तीन सौ किलो से अधिक वज़न वाले जिन लोगों को उन्होंने ऑपरेशन किया है वो जवान थे.
"पाकिस्तान में ये अपनी तरह का पहला ऑपरेशन होगा."
डॉक्टर माज़ के मुताबिक नूर अल हसन का ऑपरेशन जिस तरीके से किया जाएगा उसे लेप्रोसोकोपिक सिलियो गैस्ट्रिटॉमी कहा जाता है. ये की होल सर्जरी होती है और इसमें मरीज़ का पेट नहीं चीरा जाता है.
उनका कहना है कि इस ऑपरेशन के दो साल बाद मरीज़ का वज़न डेढ़ से दो सौ किलो तक कम हो जाता है.
"जब नूर उल हसन का वज़न कम हो जाएगा तो उनके जिस्म पर चर्बी लटक जाएगी जिसे प्लास्टिक सर्जरी के ज़रिए काट कर ठीक कर दिया जाएगा. "
डॉक्टर माज़ मानते हैं कि नूर उल हसन का वज़न बढ़ने की प्रमुख वजह उनका सुस्त रवैया ही है.
"जब आप एक ख़ास हद तक वज़न बढ़ा लेते हैं और बिलकुल बैठ जाते हैं तो फिर जिस्म के अंदर जाने वाला सामान्य भोजन भी चर्बी में बदलना शुरू हो जाता है."
दस सालों तक नूर उल हसन जब घर में मोटापे की वजह से क़ैद रहे तो उनकी बीवी और बेटी दूसरों के घरों में काम करके ख़र्चा चलाती रहीं.
उन्हें उम्मीद है कि ठीक होने के बाद नूर उल हसन कोई ऐसा काम ढूंढेंगे जिसमें उन्हें सुस्त न बैठना पड़े.

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